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    तृतीय ज्योतिर्लिंग श्री महाँकालेश्वर कथा।।

           



    ।।तृतीय ज्योतिर्लिंग श्री महाँकालेश्वर कथा।


    श्री महाँकालेश्वर ज्योतिर्लिंग− श्री महाकालेश्वर का स्थान भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में तीसरा है। यह मध्य प्रदेश की उज्जैन नगरी में स्थित है। उज्जैन में क्षिप्रा नदी से कुछ दूरी पर स्थित मंदिर में ज्योतिर्लिंग विद्यमान है।

    इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना से जुड़ी कथा इस प्रकार है− उज्जैन में चंद्रसेन नामक शिवभक्त राजा था। श्रीकर नामक एक पांच वर्ष के बालक ने एक बार राजा को शिवलिंग की पूजा करते देखा तो घर आते समय वह एक पत्थर का टुकड़ा घर ले आया और उसी को शिवलिंग मानकर उसकी पूजा करने लगा। 

    यह देखकर उस बालक की माता ने पत्थर उठाकर घर से बाहर फेंक दिया और बालक को घर के अंदर ले जाने लगी तो बालक चीख−पुकार करने लगा और भगवान शिव शंकर को मदद के लिए पुकारते−पुकारते बेहोश हो गया। 

    इस पर भगवान शिव से रहा नहीं गया और जब बालक होश में आया तो उसने देखा कि सामने सोने के दरवाजों वाला विशाल मंदिर है। उसके अंदर उपस्थित ज्योतिर्लिंग रोशनी की अद्भुत छटा बिखेर रहा है। 

    इस पर बालक पहले तो अचरज में डूबा और फिर खुश होकर भगवान शिव की स्तुति करने लगा। जब बालक की माता ने यह सब देखा तो बालक को उठा कर गले से लगा लिया। 

    यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और राजा चंद्रसेन भी यह चमत्कार देखने को आया और उसने उस बालक की भक्ति की सराहना की। 

    तभी वहां हनुमान जी प्रकट हुए और उन्होंने भी बालक की भक्ति की सराहना की। यही ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है।

    यह भी पड़े-चतुर्थ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर कथा।।

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